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                                 शनि की साढ़े साती

  



                        जब शनि आप की राशि के लग्न से बारहवे घर मे आता है तब शनि की साढ़े सती की शुरुआत होती है. शनि एक राशि को


 ढाई{2.5} वर्ष मे पार करता है शनि की समय को चरण कहते है. साढ़े सती के तीन चरण होते है.


1- प्रथम चरण - इस समय शनि आपकी राशि से बारहवे घर  मे होता है. शनि की दृष्टि एस समय आप के मस्तक पर होती है . इस समय शनि



                      आदमी की सोच को प्रभावित करता है और आदमी ग़लत निर्णय लेता है.


2- द्वितीय चरण - इस समय शनि आप के राशि के लग्न मे होता है उसकी दृष्टि आप के सीने {चेस्ट}पर होती ये समय पहले चरण के समय से


                          कम कष्ट दायक होता है.


3- तृतीय चरण - इस समय शनि आप की राशि के दूसरे  घर  मे होता है और उसकी दृष्टि गुदा {अनस} पर होती है. ये समय सबसे कठिन होता


                         है एसी समय मे आक्सिडेंट्स, बीमारी,धन का नाश होता है.

                                              

                       ऐसा नही है की शनि साढ़े सती मे केवल खराब फल ही देती है


 कुछ लोगो की कुंडली मे शनि की साढ़े सती उनके लाइफ का गोलडेन पीरियड बन कर आई है.


 आध्यात्म के अनुसार शनि को दंडाधिकारी  का स्थान प्राप्त है शनि की साढ़े सती हर आदमी की लाइफ मे उन्नतीस वर्ष के बाद आती है. साढ़े


 सती के समय मे शनि उस आदमी को उसके सही ग़लत  कार्यो के अनुसार दंड देता है.


                       बारह वर्ष से कम आयु के बचो को शनि साढ़े सती के प्रभाव  से मुक्त रखते है.


                      साढ़े सती मे यदि आध्यतम साथ नही है तो जीवन की दुर्गति  निश्चित है. अगर आदमी आध्यात्म की तरफ नही आया तो


 सोने को छुएगा  तो मिट्टी बन जाती है.


                     आध्यात्म् से जुड़ कर कुछ सरल उपाय करके शनि की साढ़े सती मे  उसके खराब प्रभाव को कम कर सकते है.