राशि का सेक्स लाइफ में स्थान



दांपत्य जीवन में सेक्स का अह्म स्थान है। यदि सेक्सुअल लाइफ अच्छी हो तो प्यार अपने आप ही बढता


 जाता है। जिस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए पोष्टिक आहार की जरूरत होती है,


 उसी प्रकार खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए अच्छी सेक्सुअल लाइफ का होना भी जरूरी है। इस लेख में हम


 आपको आपकी तथा आपके साथी की राशि के अनुसार सेक्सुअल लाइफ को और भी रूचिकर बनाने के


 तरीको को बता रहे हैं।


मेष


मेष राशि के लडकों का सेक्स के प्रति लगाव अधिक होता है, पर लडकियों का बहुत कम। इन लोगों को


 सेक्स की तरफ आकर्षित करने के लिए लाल रंग का प्रयोग करें, इस राशि के लोग भोजन में साग-


सब्जी,दुध व अंकुरित भोजन का सेवन करें, इससे सेक्स पावर बढती है।


वृष


वृष राशि के लोग स्वभाव से बहुत ही रोमांटिक होते है। लडकियों को रोमांटिक संगीत या फिल्में देखकर


 मजाक-मजाक में अंगों को छूने से मूड बनता है। इस राशि के लोगों को अपनी सेक्स पावर बढाने के लिए


 बबूल व गोंद का हलवा,तथा उडद की दाल का सेवन करना चाहिए।


मिथुन


इस राशि का स्वामी बुध है इसलिए इस राशि के लडकों को आकर्षण बहुत पसंद होता है। इस राशि की


 लडकियों को सरप्राइज बहुत पसंद होते हैं। इनको लुभाने के लिए कमरे में अपनी शादी की रोमांटिक फोटो


 चिपकाकर या उस जगह पर ले जाएं जहां बहुत सी रोमांटिक यादें जुडी हों। इस राशि के लोगों को अपनी


 सेक्स पावर को बढाने के लिए उडद की दाल से बनी चीजें तथा भोजन में गोंद का प्रयोग करना चाहिए।


कर्क


इस राशि के लोग मनचले होते है। इस राशि के लोगों को रोमांटिक मूड में लाने के लिए एकांत में रोमांस


 करना चाहिए। साथ ही सेक्सी अंगों को मसाज करना इनको बहुत भाता है। इस राशि की लडकियों का


 कैंडल लाईट डिनर बहुत पसंद है। सेक्स पावर को बढाने के लिए इस राशि वाले लोग छुहारे व अक्ष्रवगंध का


 सेवन अवश्य करें।


सिंह


इस राशि का स्वामी सूर्य है। इन लोगों को दिखावा बहुत भाता है। जब तक आप सेक्सी माहौल नहीं बनाते


 तब तक इनका मूड नहीं बनता। लडकियों का मिजाज कुछ परिवर्तित होता है। रात को नहाकर कपडों पर


 हल्का परफ्यूम लगा कर अपने पार्टनर के सेक्सी अंगों की तारीफ करें तथा सेक्स करने के अंदाज की


 तारीफ करने से ही वे मूड में जाती है। भोजन में साठी के चावल,अंकुरित दाल का प्रयोग करें।


कन्या


इस राशि के लोगों को हर तरह के सेक्स में आनंद आता हैं। इस राशि के लडके सेक्स के दौरान छेडखानी


 पसंद करते हैं। लडकियों का भी सेक्स की तरफ पूरा झुकाव होता है। बस थोडा छेडने की जरूरत है। इस


 राशि के लोगों को सेक्स पावर बढाने के लिए गोद,बादाम व छुहारे का सेवन अपने भोजन में करना चाहिए।


तुला


इस राशि का स्वामी शुक्र है, जो काम शाक्ति को बढाने वाला ग्रह कहलाता है। इस राशि के लडको का


 स्वभाव बडा ही रोमांटिक होता है। इस राशि के लडके किसी सरप्राइज रोमांटिक जगह पर जाना तथा


 सेक्सी अदाएं पसंद करते हैं। इस राशि की लडकियों का सेक्स की तरफ थोडा कम ही रूझान होता है।


 इनका मूड बनाने के लिए सरप्राइज रोमांटिक डिनर,सेक्सी चुटकले,मजाक-मजाक में चुंबन कर लेना तथा


 रोमंाटिक कार्ड अत्याधिक उपयुक्त है। इन लोगों को सेक्स पावर बढाने के लिए मेथी के लड्डू व बिनौले


 का सेवन करना चाहिए।


वृश्चिक


इस राशि के लोगों को अपने सेक्स अनुभव को तरोताजा बनाने के लिए कुछ योजना बनाकर अपने साथी


 को अपनी ओर आकर्षित करना चाहिए। इस राशि को लडकियों को रोमांस के मूड में लाने के लिए बाथ टब


 को गुलाब के फूलों की पंखुडियों से भर के एक साथ नहाने का मजा लें। साथ ही अपने साथी को बांहों में


 लेने से उनके साथी को मूड रोमांटिक हो जाता है। इस राशि के लोगों को अपनी सेक्स पावर को मेंटेन रखने


 के लिए भोजन में खट्टा कम खाना चाहिए।


धनु


इस राशि धार्मिक विचारों वाले होते हैं। इन लोगों को एकांत में रोमांस करना पसंद होता है। जब इनकी


 पार्टनर सेक्सी ड्रेस में टू पीस, स्टैप वाला गाउन पहन कर इनके सामने आती है तो ये रोमांटिक मूड में आ


 जाते हैं। किसी हिल स्टेशन पर जाकर वादियों में रोमांस करना इन राशि वालों को अच्छा लगता है। इस


 राशि की लडकियां रोमांटिक संगीत, सेक्सी फिल्म तथा सेक्सी बातों से आपकी तरफ आकर्षित हो सकती


 हैं।


मकर


इस राशि के लोगों को प्यार भरी बातों से अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। इस राशि के लोग सेक्स


 करने के दौरान बात करना पसंद नहीं करते। इस राशि की लडकियों का रोमांस में रूझान बढाने के लिए


 खूब घूमे-फिरें,शादी की रोमांटिक बातें करें। हनीमून की रोमांटिक यादें ताजा करायें व उस जगह पर वे


 एकदम आकçष्üात हो जाएंगी।


कुंभ


इस राशि का स्वामी शनि होने पर लडकों को रात को नहा कर सेक्स करने में आनंद मिलता है। अंगों को


 मसाज देने से वे मूड में आते हैं। इस राशि को लडकियों का मन आकर्षित करने के लिए कपडों में हल्का


 परफ्यूम लगाएं, किसी पानी की जगह ले जाएं, जहां आप दोनों के अलावा और कोई न हो तो क्यों न आज


 ही अपने पार्टनर की राशि के अनुसार उनके मूड को बेहतर किया जाए और सेक्स का आनंद उठाया जाए।



मीन


इस राशि के लडकों को आकर्षण बहुत भाता है। जिन्हें आप किसी फिल्मी हीरोइन की तरह अदांए दिखा कर


 लुभा सकती हैं। लडकियों को आंखों में आंखें डालकर देखना अच्छा लगता है। सरप्राइज गिफ्ट लेना पसंद


 करती हैं। थोडी जबरस्ती की शरारतें व कुछ नया करना अच्छा लगता है

 



  नामर्दी ,ठंडापन व कामाँगो के अन्य विकार का ज्योतिषीय कारण



1 –सूर्य व चंद्र एक-दूसरे से ठीक सातवे स्थान मे हो और उन की एक-दूसरे पर पारस्परिक दृष्टि पड़ती हो तो जातक या तो शारीरिक रूप से ही


 क्लीव [हिंजडा] होगा अथवा काम -क्रिया मे असमर्थ ,नपुंसक होगा.


2 –मंगल व शनि एक- दूसरे से सातवे हो तो जातक नपुंसक होगा.


3 –सूर्य सम राशि मे हो और उसके सातवें स्थान पर मंगल स्थित होकर वे दोनो एक  -दूसरे को सीधे देखते हो,तो भी जातक क्लीव होगा.


4 –चंद्र और लग्न विषम राशि मे हो और उन लोगो पर मंगल एक साथ दृष्टि डालता हो,तो ऐसा जातक नपुंसक होगा.


5 – बुध अकेला आठवें भाव स्थित हो तो जातक नपुंसकता का शिकार होगा.


6 –बुध अष्टम भाव मे शनि के साथ हो और साथ हो चंद्र ,राहु के साथ हो या उस पर राहु की दृष्टि पड़ती हो तो जातक नपुंसकता[पुरुष] या


 ठण्डेपन [स्त्री] का शिकार होगा.


7 –बुध या केतु अष्टम भाव मे हो और चंद्रमा अशुभ ग्रहो से घिरा हो तो जातक नपुंसक होगा.


8 –राहु या शनि दूसरे भाव  मे ,बुध आठवें भाव मे और चंद्र 12वे भाव मे स्थित हो तो जातक नपुंसक होगा.


9 –यदि सातवें भाव का स्वामी ग्रह और और मंगल एक साथ होकर ६वे भाव मे स्थित हो तो ऐसा पुरुष शुक्रहीन और स्त्री स्नतानोत्पत्ति की


 शामर्थ्य से वंचित होगी.


10 –आठवें  भाव का स्वामी बुध हो और उस भाव मे शनि –राहु या शनि –केतु स्थित हो ऐसी स्त्री जातक ठण्डेपन से पीड़ित होगी .


11 –यदि लग्नेश शनि हो तथा उस पर मंगल या केतु की दृष्टि पड़ती हो ,अथवा राहु और शनि लग्न मे स्थित हो ,अथवा अष्टम भाव स्वामी


 राहु और शनि के बीच घिरा हो और उस पर वृहस्पति की दृष्टि ना पड़ती हो ,इन सभी स्थितियो मे  स्त्री जातक ठण्डेपन से पीड़ित होगी .


12 –यदि राहु और शनि ,चंद्र के साथ स्थित हो तो जातक [विशेषकर स्त्री ]काम –क्रिया से भयभीत रहेगी और अन्ततः नपुंसकता या ठण्डेपन


 का शिकार हो जायेगी .


13 –लग्नेश शनि हो और उस पर मंगल वा केतु की संगति या दृष्टि का कुप्रभाव हो तो जातक सेक्स फोबिया का शिकार  होगा .शनि और राहु


 लग्न मे स्थित हो तो भी यही परिणाम देगें.                                                 

    


मातृत्व –सुख, समस्याएँ और  निदान



स्त्री  जीवन की सार्थकता मातृत्व मे ही देखी गयी है.विवाह संस्था का मुख्य प्रायोजन भी यही है की स्त्री,पुरुष संतान को जन्म देकर सृष्टि की


 रचना मे अपना योगदान कर ,पूर्वजों ऋण से मुक्त  हो जाए.


‘जातक परिजात’ के अनुसार ,संतान –उत्पत्ति स्त्री के जीवन को सार्थक बनाकर उसका भग्योदय करती है. अतः नवम भाव को भी संतान भाव


 के रूप मे माना जाना चाहिए .नवमेश की कुंडली मे स्थिति व अन्य ग्रहों के साथ उसके संबंधों पर भी विचार किया जाना चाहिए.


‘ऋषि’ पराशर के अनुसार लग्न और चंद्र लग्न से नवम भावों मे से जो बलशाली हो ,वही भाव  संतानोत्पत्ति के लिए कारक भाव माना जाना


 चाहिए .दूसरी ओर ‘जैमिनी ऋषि’ ने स्त्री के कुंडली मे संतान के संकेत के लिए सप्तम भाव के अध्ययन की भी आवश्यकता बताई है.


व्यस्क और स्वस्थ स्त्री मे उसके रजस्वला होने से लेकर रजोनिव्रित्ति  तक का काल एक कामचक्र द्वारा चक्र का एक चरण अंड निर्माण व


 प्रवाह का और दूसरा चक्र मासिक धर्म का एक होता है,जो बारी-बारी से चलते रहते है.ज्योतिर्विदो के अनुसार यह कामचक्र मंगल व चंद्र के बीच


 चलने वाली पारस्परिक प्रक्रिया होती है.पुरानी कोशिकाओं को तोड़कर मासिक धर्म स्राव कारण  मंगल का नयी कोशिकाओं का निर्माण और


 आंड निर्माण व प्रवाह चंद्र का दायित्व होता है. इस प्रकार यह काम-चक्र मंगल व चंद्र की पारस्परिक प्रक्रिया का ही प्रतिफल होता है.चंद्रमा


 बारहो राशियों मे अपने भ्रमण का एक चक्र दो चरणो मे 27.32 दिन मे करता है. इसी के अनुसार स्त्री के उत्पत्ति अंगों मे काम-चक्र भी इसी के


 अनुसार चलते हुए 27.32 दिन मे ही पूरा होता है.जबकि शून्य बिंदु [मासिक धर्म के प्रारम्भ का समय ]किसी अन्य नक्षत्र के काल मे आ सकता


 है. आधुनिक चिकित्सा विज्ञानी भी इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके है.की सामान्यता मासिक धर्मचक्र 28वे दिन ही शुरू होता है .प्राचीन ज्योतिष्


 ग्रंथों के अनुसार स्त्री की जन्म कुंडली मे चंद्र व मंगल की स्थितियों और प्रभावों के अनुपात मे ही उसके काम –चक्र के समय मे भी उतार –


चढ़ाव आता रहता है.


चंद्र और मंगल स्त्री मे संपूर्ण उत्पत्ति [ संतान ] प्रणाली का नियंत्रण एवम संचालन करते है.वह योनि मार्ग ,.गर्भाशय , अंड वाहिका और अन्य


 सभी उत्पत्ति सहायक अंगों व उनके कार्यों का संचालक व निर्णायक होता है.जबकि मंगल रक्त ,कोशिकाओं के ध्वंस और विखंडन की अन्य


 प्रक्रियाओं का संचालक और निर्णायक होता है.इसी प्रकार मासिक रक्त स्राव से पहले स्त्री यौनागों मे जो प्रक्रियाएँ एवम रचनाए होती है.उनका


 संचालन चंद्र करता है.और इस सारी रचना – प्रक्रिया को नष्ट  करके रक्त स्राव के रूप मे उसे शरीर से बाहर निकालने के काम का संचालन


 करता है.ज्योतिष् वीदद्वानों ने गहन अध्ययन और अनुभवों के बाद इन जैविक रसों के संतुलन को कायम रखने मे जातक की जन्म कुंडली के


 पंचम भाव और उसके स्वामी को महत्वपूर्ण कारक माना है.


इसके अलावा और भी कई कारक मातृत्व सुख मे कारक होते हैं.


लग्न और लग्नेश;


सातवाँ , आठवाँ भाव और उनके स्वामी ;


पंचम भाव , द्वादश भाव और उनके स्वामी ग्रह