कुंडली मे पित्रदोष
पित्रदोष अर्थात ऐसा दोष जो पितरो से संबंधित होता है . ये पीढ़ी मे वो पूर्वज होते है जो मुक्ति नही पाने के कारण पित्रलोक मे विचरण करते
है. जब पित्र श्राद्ध ना करने या किसी अन्य कारण से नाराज़ हो जाते है तो उसे पित्रदोष कहते है. पित्रदोष से पीड़ित होने पर संतान ना होना ,
घर मे बीमारिया , दुर्घटनाए , कन्या संतति का ज़्यादा होना , पीढ़ी मे कम आयु मे मृत्यु , अचानक के खर्चे , समय पर विवाह ना होना आदि
लक्षण आते है.
पित्रदोष दो प्रकार का होता है.
पित्र शाप -
कुंडली मे गुरु ग्रह पर दो खराब ग्रह की दृष्टि हो या गुरु 4,8,12 भाव मे पीड़ित हो या नीच का हो तो पित्र शाप यानी पुरुष के द्वारा ये दोष है.
मातृ शाप -
कुंडली मे अगर चंद्र राहु या शुक्र के साथ युति करे या पाप पीड़ित हो तो किसी स्त्री का शाप सात पीढ़ी तक चलता है.
पित्र दोष के अलावा भी कई प्रकार के शाप कुंडली मे पाए जाते है जिसके कारण जीवन मे अनेक प्रकार की समस्या पैदा हो जाती है.
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